आज फिर पीले फूल लेके आयी हो तुम माना मोहब्बत नहीं मुमकिन, पर दिलकशी तो है उम्र नहीं है अब तुम्हारी या मेरी आशिकी तो है, पर आशिकी तो है पर्दानशीं ये चेहरा तुम्हारा सलाम ऐ इश्क़ ये रुतबा तुम्हारा स्याही काली करने की नौबत आ गयी दिल को छुआ जब ये नगमा तुम्हारा क्या करें धीरे धीरे क्या कहें धीरे धीरे बन रहा सा तो है ताजमहल हमारा
This blog is the chalk with which i dirty the black board of opinion; whats YOURS ???