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Showing posts from June, 2016

kisi ko, kisi se

हो सकता है फिर न मिलें हो सकता है हमराही बने बिखरे बिम्ब जोड़ें हो सकता है। हो सकता है. जब छोड़ा है हमने किसी को तो उसका एक अक्स लहू में छूटा है मुझे पता नहीं पर क्या तुम्हारा जीवन भी झूठा है ? रोज़ उठके नहीं सोचा ये ज़िन्दगी काबुल नहीं ? पर तुम्हे गैर की क्या, तुम्हे तो खुद की फ़िक्र नहीं ज़िंदगी  पर जो लोग भरोसा करते है, ज़िन्दगी उनसे रूठ जाती है कब्र सा जीवन और बेरहम मौत दे जाती है पर हाँ  हम तो उन्ही मे से है, जिन्हे ज़िंदगी कही छोड़ गयी रौशनी दी फिर यकायक सूरज बुझा के ले गयी अरे कहाँ अपने आप को ढूंढते ओ, आइना रूठ  गया तुमसे, तुम्हारा प्रतिबिम्ब कहीं खो गया नायक के रूप का शोषण किया है तुमने, तुम्हारा बदन चिलमिलता है, प्राण नहीं है तुम में, तुममें लहू नहीं है , सिर्फ जल समता है, तेज़ाब से लिखा हुआ एक और जनम तुम्हे बुलाता है, बरखत श्वास की सिसकी भर लो,  बहुत लम्बा अभी हमरा  नाता है